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आषाढ़ मास की पूर्णिमा है। इसे गुरु पूर्णिमा भी कहा जाता है। वैसे तो इस पर्व पर वेद व्यास और

आषाढ़ मास की पूर्णिमा है। इसे गुरु पूर्णिमा भी कहा जाता है। वैसे तो इस पर्व पर वेद व्यास और अपने गुरु की विशेष पूजा की जाती है, लेकिन कुछ और भी शुभ काम हैं जो गुरु पूर्णिमा पर करना चाहिए। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, गुरु पूर्णिमा पर अपने गुरु की पूजा करने से देवी-देवताओं की भी विशेष कृपा मिल जाती है, क्योंकि शास्त्रों की मान्यता है कि गुरु का स्थान भगवान से ऊंचा होता है। भगवान उन्हीं लोगों पर कृपा करते हैं, जो अपने गुरु का सम्मान करते हैं। गुरु ही अपने शिष्य को जीवन जीने का तरीका सिखाते हैं, भगवान की कृपा पाने का उपाय बताते हैं। इसलिए गुरु का कभी भी अनादर न करें। गुरु हर स्थिति में पूजनीय माने गए हैं। जिन लोगों ने किसी को गुरु नहीं बनाया है, वे अपने इष्टदेव या माता-पिता को गुरु मानकर उनकी पूजा कर सकते हैं। गुरु पूर्णिमा पर स्नान के बाद सूर्य देव को तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं। ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जप करें। गुरु पूर्णिमा पर शिव जी का अभिषेक करना चाहिए। शिवलिंग पर जल चढ़ाएं।

ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करते हुए शिवलिंग पर जल चढ़ाते रहें। जल चढ़ाने के बाद बिल्व पत्र, धतुरा, आंकड़े के फूल, गुलाब आदि शुभ चीजों से श्रृंगार करें। चंदन का लेप करें। धूप-दीप जलाएं। फलों का और मिठाई का भोग लगाएं। आरती करें। अंत में भगवान से जानी-अनजानी गलतियों के लिए क्षमा याचना करें। प्रसाद बांटें और खुद भी लें। पूर्णिमा तिथि पर भगवान सत्यनारायण की विशेष पूजा करने की परंपरा है। इस तिथि पर सत्यनारायण भगवान की कथा पढ़ी-सुनी जाती है। विष्णु जी और महालक्ष्मी का अभिषेक भी जरूर करें। भगवान को लाल-पीले चमकीले वस्त्र अर्पित करें। तुलसी के साथ मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें। विष्णु जी के साथ ही वेद व्यास जी की भी पूजा करनी चाहिए। वेद व्यास को भी भगवान का अवतार माना जाता है। भगवान श्रीकृष्ण का अभिषेक करें।

भगवान के साथ गोमाता की प्रतिमा भी रखें। माखन-मिश्री का भोग लगाएं। पूजा करें। कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जप करें। पूर्णिमा तिथि पर दान-पुण्य करने की परंपरा है। जरूरतमंद लोगों को धन, भोजन, अन्न, कपड़े, जूते-चप्पल, छाते का दान करें। पूर्णिमा की शाम चंद्र उदय के बाद चंद्र देव की भी पूजा करें। चंद्र देव को जल और दूध से अर्घ्य अर्पित करें और धूप-दीप जलाएं। ऊँ सों सोमाय नम: मंत्र जपें। अगर बारिश की वजह से चंद्र देव के दर्शन नहीं हो रहे हैं तो चंद्र देव की प्रतिमा की पूजा कर सकते हैं। आषाढ़ पूर्णिमा पर घर-परिवार में क्लेश न करें। किसी भी तरह का नशा न करें। किसी का अनादर न करें। ऐसे कामों से बचें, जिनकी वजह से किसी का नुकसान हो सकता है। गुरू पूर्णिमा के पावन पर सत्तधारा के सूरज कुंड श्रदालु भक्त जनों ने मां नर्मदा पूजन अर्जन कर आशीर्वाद लिया और क्षेत्र के खुशहाली की कामना की करेली थाना की पुलिस के लगातार ड्यूटी की जा रही है l
भागीरथ तिवारी पत्रकार करेली

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