करेली। पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न स्वर्गीय पंडित अटल बिहारी बाजपेयी जी की 25 दिसंबर जयंती है। यह वर्ष उनका जन्म शताब्दी वर्ष है बाजपेयी जी के संबंध में सोचना शुरू करते ही मानसिक गतिविधियां तीव्र स्मृति पटल पर उनके सानिध्य के एक-एक पल उभरने लगते हैं उनके जैसी शख्स्यितें दुनिया में उस देष के सामुहिक भाग्य का फल होते हैं प्रकृति प्रदत्त नेता, कवि, पत्रकार, दार्षनिक संत राजनेता, अजातषत्रु युग दृष्टा जो सोचा वह जिया संपूर्ण जीवन समाज एवं राष्ट्र को समर्पित रहा।
नरसिंहपुर जिले से अटल जी का गहरा संबंध रहा सर्वप्रथम नरसिंहपुर में 1970 को-आपरेटिव बैंेक के सामने सभा हुई थी जिसकी अध्यक्षता डॉ. स्व. मधु बेलापुरकर जी के पिताजी ने की थी, करेली पुरानी गल्ला मण्डी में सभा हुई 1971 लुनावत जी के सामने जिसकी अध्यक्षता स्वर्गीय सुजान सिंह जी पटैल द्वारा की गई तीसरी सभा 1980 में स्वर्गीय ओमप्रकाष परिहार जी के उप चुनाव में स्टेडियम में संपन्न हुई, पूर्व मु. स्व. सुंदरलाल पटवा जी के चुनाव में नरसिंहपुर चर्च ग्राउण्ड में जिले की ऐतहासिक सभा हुई भारी बारिष के बीच हुई जिसमें बच्चे महिलायें डी.ओ. ऑफिस की छत पर लोग मैदान खचा-खच भरा भारी बारिष के बीच भी एक व्यक्ति भी मैदान से नहीं हटा मैं मंच पर था लौटते समय अटल जी बोले सारे बच्चे महिलायें भीग गई सिर पर कुर्सी उठाये लोग सभा सुनते रहे कोई हटा भी नहीं पटवा जी इन लोगों के प्रेम का बदला हम कैंसे चुकायेंगे इसके अतिरिक्त गाडरवारा में भी एक सभा हुई सालीचौका में उन्हें सिक्कों से तौला गया। इन्हीं सिक्कों की बुनियाद पर नरसिंहपुर का दीनदयाल भवन खड़ा है संयोग से प्रथम सभा को छोड़कर सभी सभाओं का संचालन मुझे करने का मौका मिला अटल जी के साथ लंबा समय उन्हें अनुभव करने का मुझे मिला 10 अगस्त 1971 बांग्लादेष पाकिस्तान से अलग हो गया हमारी सेनाओं के सामने पाकिस्तानी फौज आत्मसमर्पण कर चुकी थी बांग्लादेष को मान्यता देने तत्कालीन स्व. श्रीमति इंदिरा गांधी की सरकार असमंजस में थी, तब अटल जी ने मान्यता के लिये आंदोलन किया एक लाख लोगों ने दिल्ली में गिरफतारी दी तीन दिन तिहाड़ हरी नगर जेल में उनके साथ रहने का मौका मिला उनके साथ गुजरात के चुनाव में भी साथ रहा मध्यप्रदेष भाजपा में माननीय पटवा जी के साथ प्रदेष मंत्री था मंडला जिले के नैनपुर में प्रषिक्षण वर्ग था जिसका में संयोजक था, जिसमें अटलजी पधारे थे दिनभर साथ रहने का मौका मिला उस समय नगरपालिका के अध्यक्ष बालकिषन खण्डेलवाल थे। अभूतपूर्व स्वागत नैनपुर में हुआ हाथी दरवाजे हाथ ठिलियों के द्वार, बर्तनों के द्वार, फलों केे द्वार, बनाये गये थे अटल जी के प्रति लोगों की आस्था थी, उनकी सभाओं में भीड़ जुटाना नहीं पड़ती थी खुद होकर लोग लाखों की संख्या में आते थे।
अटलजी के नेतृत्व में ही बाईस दलों को मिलाकर इस देष की विविधता को सत्यापित करते हुये भारत सरकार चलाने का काम किया हिन्दुस्तान के असल मुद्दों के लिये भारत की आत्मा के अनुरूप गांधी के सपनों को अटल जी ने पंख लगाये ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकी प्रधानमंत्री सड़क क्रेडिट कार्ड किसानों के ब्याज को कम करने का काम अटलजी ने किया
वित्त कमीषन जिससे देहातों में घर-घर सड़कों का निर्माण बिजली पानी भवन का इंतजाम हुआ काष की 1950 से ये कार्य शुरू हो जाते तो भारत विष्व की महाषक्ति होता।
पोखरण में परमाणु विस्फोट करके भारत को परमाणु शक्ति संपन्न बनाने का कार्य अटल जी ने प्रषस्त किया, साधन सामर्थ्य हिन्दुस्तान में था। पुरानी सरकारों में राजनैतिक इच्छा शक्ति की कमी थी आज देष सामरिक दृष्टि से सुरक्षित है, तो अटलजी के कारण। राष्ट्रीय मुद्दों पर सटीक देषहित का दृष्टिकोण विरोध में रहते हुये पाकिस्तान युद्ध के समय यह उद्घोष अटल जी ही कर सके ’’वयं पंचाधिकं सतं’’ दुष्मनों के लिये सारा देष एक है। अच्छे को अच्छा कहने का साहस अटलजी ने इस देष को सिखाया इसी कारण स्वर्गीय नरसिम्हा राव जी ने विरोधी नेता अटलजी को देष को प्रतिनिधित्व देने विदेष भेजा।
देष में सबसे ज्यादा भाषण देने के लिये अटलजी जाने जाते हैं, लेकिन भूलकर कभी किसी का दिल नहीं दुखाया, सारे विरोधी उन्हंे सम्मान देते थे संयुक्त राष्ट्रसंघ में पहली बार कोई नेता हिन्दी में बोला वो अटल जी थे उनकी तटस्थ विदेष नीति, आर्थिक नीति, देष को गति देने स्वर्णिम चतुर्भुज योजना, नदियों को आपस में जोड़ने की योजना जिससे सूखा एवं बाढ़ से एकसाथ निपटा जा सके। 25 दिसम्बर को मध्यप्रदेष में केन-बेतवा लिंक परियोजना का षिलान्यास माननीय नरेन्द्र मोदी जी कर रहे हैं मोदी जी की सरकार अटलजी की नीतियों को लागू कर दुनिया के नक्षे में भारत को यषस्वी कर रहे हैं।
Mसुचिता की राजनीति के अटलजी संवाहक थे नैनीताल में किसी ने फार्म हाउस अटलजी को देने को कहा तो उन्होने इंकार करते हुये इसे देष को समर्पित किया पूरा देष जानता है अटलजी की सरकार एक वोट से गिरी सारे लोग मानते है, कि एक वोट की व्यवस्था सामान्य बात है। अटलजी ने एक वोट नहीं जुटाया उनका संसद में इस्तीफा देने के पूर्व का भाषण पवित्र लोकतंत्र की गीता है। इस भाषण ने देष भर के लोगों की आंखें नम कर दी।
’’सरकारें आयेंगी, जायेंगी ये देष रहेगा, लोकतंत्र रहेगा’’
मैं फिर जनता के सामने निर्णय के लिये जा रहा हूं, उनकी कवितायें आज भी पढ़ो तो चेतना जग जाती है। समाज जीवन को नये प्राण देने का सामर्थ्य उनकी कविताओं में है, वे हमेषा शाष्वत रहेंगी।
अटल जी हिन्दुस्तान की ऐंसी सख्शियत थे जो कभी पदों के मोहताज नहीं रहे जिस पद पर अटल जी बैठ गये वो यषस्वी हो गया अटलजी महामानव हैं वो हमेषा हमारे भीतर रहेंगे जब तक हिन्दुस्तान हैं वे हमारे दिल दिमाग पर अंकित रहेंगे।
किसी ने ठीक कहा है, ’’इस रास्ते में जब कोई छाया ना पायेगा, ये आखिरी दरख्त बहुत याद आयेगा’’
अटलजी के जन्म शताब्दी वर्ष पर अटलजी के चरणों में सादर शब्दांजली। कैलाश सोनी पूर्व राज्यसभा सदस्य, राष्ट्रीय अध्यक्ष लोकतंत्र सेनानी संघ
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