
“बरमान ब्रह्मांड घाट पर चल रहे मेले की पवित्रता पर लापरवाही का धब्बा लग रहा है। पुल के पास स्थित सुलभ कॉम्प्लेक्स के समीप नालियां चौक हो चुकी हैं, और सारा मलवा सड़कों पर बह रहा है। इस गंदगी से यहां आने वाले तीर्थयात्री न सिर्फ परेशान हैं, बल्कि उनकी आस्था भी ठेस खा रही है।”
“रोड पर बहती गंदगी ने पूरी सड़क को दूषित कर दिया है। नर्मदा भक्त, जो यहां पूजा-अर्चना और शांति की तलाश में आते हैं, उन्हें अब बदबू और कचरे का सामना करना पड़ रहा है। महिलाएं, जो कपड़े बदलने के लिए सुरक्षित और साफ जगह चाहती हैं, वे भी इस समस्या से जूझ रही हैं।”
“सवाल यह है कि आखिर ऐसी लापरवाही कब तक चलेगी? क्या तीर्थयात्रियों की सुविधा और स्वच्छता का ख्याल रखना प्रशासन की जिम्मेदारी नहीं है?”
“यह मेला सिर्फ एक आयोजन नहीं, बल्कि श्रद्धालुओं के लिए आस्था और विश्वास का केंद्र है। लेकिन गंदगी और अव्यवस्थाओं ने यहां के अनुभव को कड़वा बना दिया है।”
“अब समय है कि प्रशासन जागे और तीर्थयात्रियों की परेशानी को गंभीरता से लेते हुए इस समस्या का स्थायी समाधान निकाले। नर्मदा भक्तों की आस्था के साथ और खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
“बरमान घाट से, यह थी हमारी रिपोर्ट। उम्मीद है कि जल्द ही इस पवित्र स्थल की गरिमा को बहाल किया जाएगा।”