
मेरिट के स्थान पर बहुमत से की गई नियुक्ति अब अवैध मानी जाएगी! मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने इस पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। जस्टिस विशाल मिश्रा की एकलपीठ ने पंचायत कर्मी की नियुक्ति से जुड़े एक मामले में यह अहम निर्णय लिया।”
“इस फैसले का केंद्र बना ग्राम पंचायत रामपुर, जिला मऊगंज। याचिकाकर्ता सच्चिदानंद शुक्ला की पंचायत सचिव के रूप में की गई नियुक्ति को अनुचित ठहराते हुए कोर्ट ने कहा कि पंचायत राज अधिनियम के तहत नियुक्तियां केवल मेरिट के आधार पर होनी चाहिए, न कि ग्राम सभा के बहुमत प्रस्ताव पर।”
“अनावेदक अशोक कुमार सिंह, जिसे प्रावीण्य सूची में प्रथम स्थान मिला था, को दरकिनार कर सच्चिदानंद शुक्ला को नियुक्त कर दिया गया। अशोक की ओर से अधिवक्ता नित्यानंद मिश्रा ने कोर्ट में मजबूती से पक्ष रखा और आखिरकार, न्याय की जीत हुई।”
“हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि नियमों और मेरिट से हटकर की गई नियुक्तियां भविष्य में स्वीकार्य नहीं होंगी। यह फैसला उन सभी को संदेश है जो नियमों को ताक पर रखकर गलत तरीके से लाभ उठाते हैं।”
“तो, क्या यह न्यायिक आदेश पंचायत स्तर पर पारदर्शिता और मेरिट को बढ़ावा देगा? यह देखना दिलचस्प होगा कि अब पंचायतों में नियुक्तियों का स्वरूप कैसे बदलता है।”