मेले में वर्षों से दुकान लगाने बालों को प्राथमिकता मिलना चाहिए lभागीरथ तिवारी

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भगवान ब्रह्मा की तपोभूमि ब्राह्मण घाट के मकर संक्रांति के अवसर पर मां नर्मदा नदी के किनारे रेत ओर सीडी घाट पर ऐतिहासिक मेला लगता है l इस मेले में सागर दमोह रायसेन छिंदवाड़ा सिवनी आदि जिलों से आकर नर्मदा भक्त मां नर्मदा नदी का पूजा अर्जन कर दर्शन कर मेले में आकर कीमती सामान खरीदते हैं और मेले की निशानी खरीद कर घर ले जाते हैं पर देखने में आ रहा है कि जनपद पंचायत करेली एवं चावर पाठा के अंतर्गत आने वाले बरमान कला ,बरमान खुर्द में मेले को लेकर कोई भी जिला अधिकारी चाहते हैं कि यह ऐतिहासिक मेले को चार चांद लगाया जाए

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जिससे कि इसकी प्रसिद्धि दूर-दूर तक पहुंचे और इस मेले मे अपने दुकान और झूला सर्कस और ट्रेन लाकर इस मेले को वर्षों से सुचारू रूप से चले और भगवान ब्रह्मा की तपोभूमि ब्रह्मांड घाट का नाम प्रसिद्ध हो l पर यहां दोनों पंचायत में के अधिकारी कर्मचारियों के साथ-साथ जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत के सचिव रोजगार सहायकों की ड्यूटी लगाने के कारण यह मेला अपनी प्रसिद्धि पर विराम लगाने को उतारू है जहां एक और जिले के विधायक और जनप्रतिनिधि के साथ साथ जिला प्रशासन के अधिकारी चाहते है कि यह मेला का महत्व बना रहे हे इस हेतु जनप्रतिनिधि भी अपनी निधि से महिलाओं के लिया अंग वस्त्र बदलने के लिए चेंजिंग रुम के लिए बड़ी संख्या में भी राशि भी देते हे और स्वेच्छिक दान भी देते है पर देखने में आता हे कि मां नर्मदा के दोनों तटों पर चेंजिंग रुम कही भी दिखाई देते है l जब पंचायतों के सचिव , रोजगार सहायकों से जानकारी ली जाती है पंचायत के सचिव व रोजगार सहायक बोलते हे कि नर्मदा नदी में बहाव के कारण चेंजिग रूम बह गए है l और तो ओर उच्च न्यायालय ओर एन जी टी के आदेशों की अवहेलना को लेकर लागतार दुकानों को पक्के अतिक्रमण करने को लेकर निर्माण करवाते हे क्योंकि इनसे बड़ी रकम लेते हे कुछ तो ऐसे अधिकारी के साथ साथ सचिव और रोजगार सहायक सबसे बड़े होते हे जो कि उच्च न्यायालय ओर एन जी टी के आदेशों की अवमानना,और आदेशों की अवहेलना करते हुए सबसे बड़े अधिकारी हो गए जब तक इन पर कार्यवाही न होने से यह मेले को खत्म करने की कोशिश करते हे l मेला समिति की बैठक में नावों में बैठने वाले यात्रियों को क्षमता से ज्यादा ओर बिना जैकेट के नाव में न बैठने की बात होती हे पर इन नियमो की अवहेलना किस तरह होती हे बिना सूचना के मेले का निरीक्षण करे तो समझ में आयेगा कि जिला के अधिकारी से बड़े सचिव हेl जो वर्षों से दुकान लगाकर मेले में आते है और मेले में हानि लाभ की चिंता नहीं करते हे पर मेले में दलाली के चक्कर में बाहरी प्रदेशों को सामान लगवाकर कर विश्वनीयता खत्म हो रही हे l जब तक वर्षों पुराने कर्मचारियों का स्थानांतरण न होगांऔर कार्यवाही नहीं होगी तब तक तभी मेला सुचारू रूप से नहीं चलेगा l
भागीरथ तिवारी करेली पत्रकार

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