
रंगों के पर्व होली के शुभ अवसर पर संस्थापक, जीसीसीआई एवं भारत सरकार के पूर्व केंद्रीय मंत्री, डॉ. वल्लभभाई कथारिया ने जनता से अपील की हैं कि इस उल्लासपूर्ण त्योहार को पर्यावरण के अनुकूल और स्वास्थ्य-सुरक्षित तरीके से मनाएँ। होली में प्रयुक्त रासायनिक और सिंथेटिक रंगों से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं। इन रंगों में सीसा, पारा और अन्य हानिकारक रसायन होते हैं जो त्वचा एलर्जी, नेत्र संक्रमण और सुसन समस्याएँ उत्पन्न कर सकते हैं।
सुरक्षित और हरित होली मनाने के लिए, जीसीसीआई की और से सभी से आग्रह करते हैं कि प्राकृतिक और ऑर्गेनिक रंगों का उपयोग करें जो गौमय, फूलों, हल्दी, चंदन और हर्बल अर्क से बनाए गए हों। ये रंग जैविक रूप से विघटनशील, विष रहित होते हैं और बच्चों व बुजुर्गों सहित सभी के लिए सुरक्षित होते हैं। साथ ही, ऑर्गेनिक रंगों के उपयोग से उन कारीगरों और लघु उद्योगों को भी प्रोत्साहन मिलता है जो प्राकृतिक रंगों के उत्पादन से जुड़े हैं।
आइए, हम संकल्प लें कि इस बार की होली पर्यावरण-मित्र होगी और हम दूसरों को भी ऑर्गेनिक रंगों के फायदों के बारे में जागरूक करेंगे।
आइए, इस होली को प्रेम, आनंद और प्रकृति के प्रति उत्तरदायित्व के साथ मनाएँ। रासायनिक रंगों को कहें ना, ऑर्गेनिक रंगों को कहें हाँ! जी सी सी आई के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप धनराज गुप्ता प्रदेश प्रेस संयोजक मीडिया प्रभारी मध्यप्रदेश भागीरथ तिवारी ने बताया कि इस होली पर्व पर प्राकृतिक खेती ओर पर्यावरण को शुद्ध करने में सहभागिता करे l अधिक जानकारी के लिए जीसीसीआई के जनरल सेक्रेटरी मित्तलभाई खेताणी और तेजस चोटलिया से मो. 94269 18900, मीनाक्षी शर्मा मो. 83739 09295 पर संपर्क करें।