41.9 C
नरसिंहपुर
May 20, 2024
Indianews24tv
देश

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर, हनुमानजी के 10 प्रमुख सिद्धपीठों में है शामिल, प्रसाद को लेकर भी है अजब धारणा


दौसा. राजस्थान में अलग-अलग चमत्कारिक मंदिर हैं. इन्हीं में शामिल है मेहंदीपुर बालाजी मंदिर. राजधानी जयपुर से करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर दौसा जिले में स्थित मेहंदीपुर बालाजी धाम भगवान हनुमान के 10 प्रमुख सिद्धपीठों में गिना जाता है. वर्षों पुराना यह मंदिर बहुत सिद्धि प्राप्त है. भक्तों में मान्यता है कि इस स्थान पर हनुमानजी जागृत अवस्था में विराजते हैं. मान्यता है कि बालाजी महाराज के हजारों गण यानि कि अतृप्त आत्माएं यहां बालाजी के नित्य लगने वाले भोग की खुशबू से तृप्त होती हैं. इसलिए यहां भूत प्रेत के साये से परेशान लोग आते हैं और ठीक होकर जाते हैं.

इतिहासकार लोकेश शर्मा के अनुसार मंदिर से जुड़ी कई कहानियां हैं. एक कहानी के अनुसार यहां तीन देवों की प्रधानता है. श्री बालाजी महाराज, श्री प्रेतराज सरकार और श्री कोतवाल (भैरव). ये तीन देव यहां आज से लगभग 1000 वर्ष पूर्व प्रकट हुए थे. इनके प्रकट होने से लेकर अब तक बारह महंत इस स्थान पर सेवा-पूजा कर चुके हैं. किवदंति के अनुसार शुरुआत में मेहंदीपुर धाम में घना जंगल हुआ करता था. यहां जंगली जानवरों का वास था. सुनसान होने के कारण यहां चोर-डाकुओं का भी डर था. ऐसे में आम आदमी की पहुंच इस जगह से काफी दूर थी.

पौराणिक कथा के अनुसार यहां एक मंदिर के महंत के पूर्वज को सपना आया था. वे सपने में ही उठकर एक बड़ी विचित्र जगह पहुंच गए. उन्होंने देखा कि एक ओर हजारों दीपक प्रज्वलित हो रहे थे. हाथी-घोड़ों की आवाज के साथ एक बहुत बड़ी फौज चली आ रही थी. उस फौज ने बालाजी महाराज की मूर्ति की तीन प्रदक्षिणाएं की और उन्हें प्रणाम किया. उसके बाद वे जिस रास्ते से आए थे उसी रास्ते से वापस चले गए.

महंत को फिर आया सपना
महाराज ये सब लीला बहुत ही आश्चर्य के साथ देख रहे थे. उन्हें ये सब देखने के बाद डर लगा और वे वापस अपने गांव चले गए. घर जाकर उन्होंने इस लीला के बारे में बहुत सोचा. वहीं जैसे ही उनकी फिर आंख लगी तो उन्हें एक और सपना आया. इस बार सपने में तीन मूर्तियां, मंदिर और विशाल वैभव दिखाई दिया. उनके कानों में आवाज आई उठो और मेरी सेवा का भार ग्रहण करो. मैं अपनी लीलाओं का विस्तार करूंगा. यह बात कौन कह रहा था. कुछ दिखाई नहीं पड़ा. महाराज ने एक बार भी इस पर ध्यान नहीं दिया तो खुद हनुमान जी महाराज ने इस बार स्वयं उन्हें दर्शन दिए और उन्हें पूजा करने का आदेश दिया.

गायब हो गई थी मूर्तियां
दूसरे दिन महाराज ने आस-पास के लोगों को सारी बातें बताई. उन्होंने जैसे ही सपने में बताई बातों के अनुसार खुदाई करवाई तो वहां से हनुमान प्रतिमा निकली. कुछ लोगों ने वहां एक छोटे से मंदिर की स्थापना करवा दी और भोग की व्यवस्था भी करवा दी. ऐसा होने से वहां चमत्कार होने लगे. कुछ लोगों ने इसे ढोंग माना. बालाजी महाराज की प्रतिमा/ विग्रह जहां से निकाली थी वह मूर्ति फिर से वहीं लुप्त हो गई. इससे सभी लोगों ने शक्ति को माना और क्षमा मांगी. लोगों के क्षमा मांगने के बाद मूर्तियां फिर से दिखाई देने लगी.

प्रसाद को लेकर है यह बड़ी मान्यता
यहां बालाजी महाराज की बाई ओर छाती के नीचे से एक बारीक जलधारा निरंतर बहती रहती है. वह पर्याप्त चोला चढ़ जाने पर भी बंद नहीं होती. उस जल के छींटे भक्तों के लगते हैं. उसे बालाजी का आशीर्वाद माना जाता है. जानकारों के अनुसार यहां से पहले श्रद्धालु प्रसाद घर क्या मंदिर परिसर से बाहर ही नहीं लेकर जाते थे. उसे यहीं पर ग्रहण करते थे. हालांकि आज भी यह मान्यता है. लेकिन अब कुछ श्रद्धालु यहां से प्रसाद ले जाने लगे हैं.



Source link

Related posts

Mann-Kejriwal Meet: Tihar, Delhi, Punjab Police Officials Holds Meet to Discuss Security Plans

Ram

‘कांग्रेस गलत दिशा में आगे बढ़ रही है…’, इतना कहते हुए गौरव वल्लभ ने छोड़ दी पार्टी

Ram

Girl, 3, Raped by Neighbour in West Delhi; Accused Held

Ram

Leave a Comment