सवाल:- जम्मू-कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक रेलवे के विकास पर पीएम मोदी फोकस कर रहे हैं. अब जहां कुछ नहीं था, वहां पर इलेक्ट्रिक ट्रेन की बातें भी सामने आई हैं, मौजूदगी उसकी वहां हो रही है तो कैसे कुछ यह सारा कुछ डिजाइन और उस पर क्या कुछ अपडेट है?
आज जम्मू कश्मीर में श्रीनगर घाटी से गाड़ी पहले से चल रही है, कटरा की ओर, और एक टनल टी-वन टनल का काम तेजी से चल रहा है. आने वाले कुछ महीनों में जो ड्रीम प्रोजेक्ट हैं, श्रीनगर से लेकर कन्याकुमारी तक एकदम स्ट्रेट फॉरवर्ड, स्मूथ, सीमलेस रेलवे कनेक्टिविटी हो जाएगी और इस सबमें देश का सौभाग्य है कि पीएम मोदी ने एक ऐसा रेलवे प्रोजेक्ट पूरा किया जो कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक लोगों को निर्बाध यात्रा कराएगा.
बीच में कोविड का थोड़ा सा सेटबैक लगा और कुछ सेटबैक महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की सरकार ने दिया. उन्होंने प्रोजेक्ट के लिए परमिशन देने से मना कर दिया था. उसके कारण भी लगा. लेकिन, अभी बहुत अच्छी प्रोग्रेस पर काम चल रहा है. 290 किलोमीटर से ज्यादा काम ऑलरेडी हो चुका है. आठ नदियों के ऊपर पुल बन चुके हैं. 12 स्टेशन पर काम चल रहा है. स्टेशन भी एकदम एक लेवल पर आ गए हैं, जिससे कि काम कंप्लीट होने की तरफ है. दो डिपो पर काम चल रहा है. मतलब एक साथ बहुत ही तेजी से हर दिशा में काम चल रहा है और 2026 में इसका पहला सेक्शन खुलने का टारगेट लेकर काम किया जा रहा है.
इसी कैपेसिटी को बढ़ाने के लिए अगर हम 2014 से 2024 का पीरियड देखें और 2004 से 2014 के साथ उसको कंपेयर करें तो एक बड़ा अंतर आपको दिखाई देगा. रेलवे ट्रैक बनाने की जो प्रक्रिया है, उसमें 2004 से 2014 में मात्र 17,000 किलोमीटर ट्रैक बने थे. 2014 से 2024 में 31,000 किलोमीटर नए ट्रैक बने. इलेक्ट्रिफिकेशन जिससे रेलवे की स्पीड बढ़ाई जा सकती है, वह 2004 से 2014 के 10 वर्षों में मात्र 5000 किलोमीटर के आसपास हुआ, जबकि 2014 से 2024 के 10 वर्षों में 44,000 किलोमीटर का रेलवे इलेक्ट्रिफिकेशन हुआ.
वैसे ही स्टेशन की बात करें तो एक भी स्टेशन का रीडिवेलपमेंट नहीं हुआ 2004 से 2014 के पीरियड में. 2014 से 2024 के पीरियड में 1,324 स्टेशन का रीडेवलपमेंट चल रहा है. कोच की मैन्युफैक्चरिंग की बात करें तो 2004 से 2014 के पीरियड में मात्र 32,000 कोच बने थे और 2014 से 2024 के पीरियड में 54,000 कोच बने. इलेक्ट्रिक लोको मात्र 2000 बने थे 2004-14 में. अब 6500 लोकोमोटिव 2014 से 24 में बने हैं. 2014 से पहले डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर जीरो, एक भी किलोमीटर का कमीशनिंग नहीं हुआ था. और, अब तक 2014 से 2734 किलोमीटर का डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कमीशन हो चुका है. आप देखिए बड़ी संख्या में रेलवे के इंफ्रास्ट्रक्चर को, रेलवे की कैपेसिटी को, रेलवे में कोच की संख्या, रेलवे में लोको की संख्या, ऊपर बिजली के तार इन सब की संख्या बड़ी मात्रा में बढ़ाई गई है और इस सबके लिए सरकार ने निवेश किया है. सरकार का इन्वेस्टमेंट इसमें आया है तो एक अच्छे तरीके से रेलवे की कैपेसिटी बढ़ाई गई, जिससे कि आज जो 2014 से पहले रेलवे की कैपेसिटी थी तो उससे कहीं बेहतर आज परिस्थितियां है और आगामी पांच वर्षों में पीएम मोदी की गारंटी है कि रेलवे की कैपेसिटी इतनी बढ़ाएंगे, जिससे कि करीब-करीब जो भी पैसेंजर ट्रैवल करना चाहें, उनको एक आराम से कन्फर्म टिकट मिल सके.