नई दिल्ली. तेजाब के हमले से पीड़ित 9 युवतियों ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर अपनी जैसी सैकड़ों पीड़िताओं की डिजिटल केवाईसी याने ग्राहकों को पहचान या तस्दीक करवाने में विशेष प्रक्रिया शामिल करने का आदेश जारी किए जाने की गुहार लगाई है. सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ लूथरा, एडवोकेट्स अनमोल खेता और नितिन सलूजा एल के जरिए इन पीड़िताओं ने अपनी अर्जी सुप्रीम कोर्ट में लगाई है. इसमें उन्होंने एसिड अटैक के बाद हाथों की अंगुलियों, आंखों की पुतलियों और अन्य बायो-मेट्रिक पहचान का स्थाई नुकसान होने की स्थिति का हवाला दिया है.
इन एसिड अटैक पीड़िताओं के हवाले से उन्होंने कहा कि इनकी वजह से बैंक खाता खोलने, आधार कार्ड बनवाने, संपत्ति की रजिस्ट्री कराने या अपडेट करने, मोबाइल सिम कार्ड खरीदने जैसी स्थिति में बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. केवाईसी की प्रक्रिया में पुतलियों की डिजिटल डिटेलिंग और जीवित होने का प्रमाण देने के लिए पलकें झपकाना, उंगलियों के निशान आदि लेना कई बार एसिड अटैक पीड़िताओं के लिए नामुमकिन होता है.
एसिड अटैक पीड़िताओं ने कहा कि लिहाजा सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार को आदेश जारी करे कि उनकी मुश्किल और मजबूरी के मद्देनजर डिजिटल केवाईसी की समावेशिक और वैकल्पिक प्रक्रिया अपनाई जाए. इसके लिए बैंक और अन्य सभी संबंधित निकायों और प्राधिकरणों के लिए गाइड लाइन जारी करे.
FIRST PUBLISHED : May 8, 2024, 23:10 IST