रिपोर्ट- विशाल भटनागर
मेरठ. देश में इन दिनों आईपीएल की धूम है. इंडियन प्रीमियर लीग के प्रति लोगों में जबरदस्त क्रेज है. 66 दिन तक मुकाबले चलेंगे. लेकिन क्या आपको पता है कि जो बॉल खिलाड़ियों को दौड़ा रही है वो आखिर बनती कहां है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ को स्पोर्ट्स सिटी के नाम से जाना जाता है. मेरठ में बनने वाली स्पोर्ट्स सामग्री की डिमांड विश्व भर में देखने मिलती है. कुछ इसी तरह का नजारा मेरठ की गेंद के प्रति भी देखने मिल रहा है. इसकी डिमांड आईपीएल के दौरान काफी बढ़ जाती है. आधुनिक मशीनों के दौर में मेरठ में आज भी हाथ से गेंद बनायी जा रही हैं.
लोकल-18 को मेरठ सूरजकुंड स्पोर्ट्स व्यापारी दीपक तलवार ने बताया मेरठ में बनी गेंद की डिमांड विश्वभर में है. आईसीसी और बीसीसीआई ने मेरठ की एसजी कंपनी की गेंद को स्वीकृति प्रदान की है. इनका उपयोग भारत में आईपीएल, टेस्ट मैच और वनडे सीरीज में किया जाता है. इसी के साथ जो भी रणजी ट्रॉफी या अन्य मैच होते हैं उनमें भी मेरठ की गेंद सप्लाई होती है.
एक सप्ताह में तैयार होती है गेंद
स्पोर्ट्स व्यापारी ओमकार त्यागी बताते हैं मैच में गेंद की निर्णायक भूमिका होती है. आखिरी ओवर की गेंद पर तो प्रत्येक क्रिकेट प्रेमी की नजरें गेंद पर रहती हैं. ये कुछ ही सेकंड में पूरे मैच का निर्णय बदल देती है. उसी गेंद को तैयार करने में एक सप्ताह का समय लगता है. इसके लिए लगभग 10 से 12 कारीगरों को काम करना पड़ता है. गेंद बनाने की प्रक्रिया की अगर बात की जाए तो सबसे पहले लैदर की धुलाई की जाती है. उसके बाद उसे सुखाया जाता है फिर उसमें कलर किया जाता है. इसके बाद गेंद की साइज के हिसाब से कटिंग की जाती है. कटिंग के बाद सिलाई की जाती है. गेंद को आकार देने के लिए मशीन से उसकी कुटाई करते हुए तैयार किया जाता है. उसके बाद अंतिम चरणों में गेंद पर पॉलिश की जाती है. इस तरह से लगभग सात दिन का समय एक गेंद तैयार करने में लग जाता है.
नियम का पूरा ध्यान
क्रिकेट के लिए उपयोग होने वाली गेंद बनाने के भी नियम हैं. आईपीएल, वनडे और टेस्ट मैच की गेंद के लिए बीसीसीआई ने नियम निर्धारित किए हैं. उसके हिसाब से गेंद को तैयार किया जाता है. 20 ओवर, 40 ओवर, 60 ओवर के हिसाब से गेंद तैयार की जाती हैं. सबसे ज्यादा डिमांड लाल रंग की गेंद होती है. हालांकि मेरठ में सफेद, पिंक बॉल भी बनाई जाती हैं. स्पोर्ट्स व्यापारी बताते हैं व्हाइट बॉल को दिन रात के मैच में अधिक उपयोग किया जाता है. इसकी वजन की बात की जाए तो 133 से लेकर 163 ग्राम तक का होता है.
सालाना 500 करोड़ का टर्नओवर
एसजी, एसएस, एसएफ, भल्ला इंटरनेशनल, एचआरएस, बीडीएम क्रिकेट ऐसी प्रमुख कंपनियां हैं. जिनके यहां ब्रांडेड बॉल तैयार की जाती हैं. हालांकि सबसे ज्यादा एसजी कंपनी की गेंद विदेशों में भेजी जाती है. गेंद एक हजार रुपए से लेकर 40,000 रुपए तक की होती है. मेरठ में क्रिकेट बॉल का सालाना टर्नओवर 500 करोड़ रुपए से अधिक है.
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FIRST PUBLISHED : March 27, 2024, 21:01 IST