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May 11, 2024
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दक्षिण के सबसे बड़े सूबे में खेल की तैयारी में भाजपा, IPS के हाथों में कमान, PM मोदी भी भर रहे हुंकार


लोकसभा चुनाव 2024 के पहले चरण में 19 अप्रैल को जिन राज्यों में वोट डाले जाएंगे उनमें एक सबसे बड़ा राज्य तमिलनाडु भी है. यहां लोकसभा की 39 सीटें हैं और एक ही चरण में सभी सीटों के लिए वोट डाले जाएंगे. इस चुनाव में 370 सीटों का टार्गेट लेकर चल रही भाजपा तमिलनाडु से भी कुछ सीटें हासिल करने की योजना पर काम कर रही है. भाजपा पीएम नरेंद्र मोदी और प्रदेशाध्यक्ष अन्नामलाई के नेतृत्व में बेहद अक्रामक रुख अपना रही है. उसने राज्य में मुकाबले को कई जगहों पर त्रिकोणीय बना दिया है. जानकार बता रहे हैं कि ऐसा संभवतः पहली बार होने वाला है जब इस सबसे बड़े दक्षिणी सूबे में भाजपा इतना मखुर दिख रही है.

त्रिकोणीय मुकाबला
इस चुनाव में तमिलनाडु में मुख्य रूप से तीन गठबंधन हैं. डीएमके के नेतृत्व में कांग्रेस और वामपंथी दल चुनाव लड़ रहे हैं. डीएमके 22, कांग्रेस आठ, वाम दल चार, इंडियन मुस्लिम लीग एक और कुछ अन्य दल चार सीटों पर मैदान में हैं. बीते 2019 के चुनाव में इस गठबंधन ने 39 में से 38 सीटें जीती थी. दूसरा गठबंधन एआईएडीएमके के नेतृत्व में चुनाव लड़ रहा है. एआईएडीएमके 34 और उसकी सहयोगी डीएमडीके पांच सीटों पर मैदान में है. तीसरा सबसे अहम गठबंधन भाजपा के नेतृत्व में मैदान में है. भाजपा राज्य की 23 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. इस गठबंधन में नौ अन्य छोटे-बड़े दल हैं. पीएमके 10 और तमिल मनिला कांग्रेस तीन सीटों पर मैदान में है. इसके अलवा इस गठबंधन में एआईएडीएमके के पूर्व मुख्यमंत्री ओ पन्नेरसेल्वम निर्दलीय मैदान में हैं. इस गठबंधन में टीटीवी दिनाकरन की पार्टी एएमएमके भी दो सीट पर मैदान में है.

डीएमके को फायदा
2024 का लोकसभा चुनाव पूरी तरह से बदले हुए माहौल में हो रहा है. राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री जे. जयललिता के 2016 में निधन हो जाने के बाद एआईएडीएमके बिखर गई है. पार्टी के कई बड़े नेता दो फाड़ हो चुके हैं. दूसरी तरह पूरा विपक्ष भी बंटा हुआ है. ऐसे में जानकार बताते हैं कि फायदा डीएमके के नेतृत्व वाले गठबंधन को हो सकता है.

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नॉनवेट भोजन बड़ा मुद्दा
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस चुनाव में डीएमके-कांग्रेस केंद्र में भाजपा की सरकार को संघवाद के लिए खतरा बता रही है. इसके साथ ही वह यह भी प्रचारित कर रही है कि भाजपा दलित और अल्पसंख्यक विरोधी पार्टी है. वह यह भी प्रचारित कर रही है कि यह अगड़ी जाति के लोगों की पार्टी है और इसके उम्मीदवार जीतेंगे तो वे लोगों को नॉनवेज खाने पर रोक लगा देंगे. दूसरी तरह भाजपा और अन्य विपक्षी दल डीएमके की सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रही है. उसका कहना है कि सीएम एमके स्टालिन का परिवार भ्रष्टाचार में गहराई तक डूबा हुआ है.

भाजपा का सोशल इंजीनियरिंग
विपक्ष राज्य में भाजपा पर अगड़ी जाति की पार्टी होने का ठप्पा लगा रहा है. इस ठप्पे को हटाने के लिए भाजपा ने एक संतुलित नजरिया अपनाया है. उसने जातीय समीकरण साधने के लिए कई दलों के साथ गठबंधन किया है. पार्टी ने पीएमके साथ गठबंधन किया है. पीएमके वन्नियार समुदाय का प्रतिनिधित्व करती है. यह एक ओबीसी जाति है. उसका गठबंधन टीटीवी दिनाकरन से है. वह जयललिता के बेहद करीबी रहीं शशिकला के भतीजे हैं. दिनाकरण तेवर समुदाय से आते हैं. एआईएडीएम का परंपरागत वोट बैंक भी तेवर समुदाय रहा है. दक्षिणी तमिलनाडु में इसका अच्छा प्रभाव है. फिर राज्य में पार्टी ने केंद्रीय मंत्री एल मुरुगन को अपना दलित चेहरा बनाया है. वह नीलगिरी से चुनावी मैदान में हैं. भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष अन्नामलाई गौंडर जाति से हैं. यह राज्य में एक प्रभावी जाति है. भाजपा ने सभी वर्गों के साथ एक नई सोशल इंजीनियरिंग बनाई और उसका फिलहाल टार्गेट राज्य में एक मजबूत विपक्ष के रूप में उभरना है. अगर ऐसा होता है तो पार्टी 2026 के राज्य विधानसभा चुनाव में एक बड़ी ताकत बनना चाहेगी.

अन्नामलाई फैक्टर
भाजपा बीते कई सालों से तमिलनाडु में अपनी पांव जमाने की कोशिश कर रही है. विपक्षी दल यह प्रचारित करने में काफी हद तक सफल रहे कि भाजपा ब्राह्मणों की पार्टी है और उसके पास नेता नहीं हैं. लेकिन, अन्नामलाई के आने के बाद स्थिति बदली है. अन्नामलाई ने आईपीएस ऑफिसर की नौकरी से इस्तीफा देकर भाजपा ज्वाइन किया. भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए एक आईपीएस अधिकारी के नौकरी छोड़ने की बात लोगों को काफी प्रभावित कर रही है. उनको राज्य में एक हीरो की तरह देखा जा रहा है. वह लगातार डीएमके पर हमलावर हैं. उन्होंने सीएम स्टालिन के कथित भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए राज्य के वित्त मंत्री पलानीवेल तियागराज का कथित ऑडियो टेप जारी किया. हालांकि डीएमके इस टेप को फर्जी बताती है. वह लगातार डीएमके पर हमलावर हैं. राज्य में 2000 करोड़ रुपये के कथित ड्रग रैकेट की भी चर्चा है.

Tags: Loksabha Election 2024, Loksabha Elections



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