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May 20, 2024
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PM को बंद कमरे में योग सिखाने वाला संन्यासी, जिसने गुजराल का मंत्रालय छिनवा लिया था


धर्म और सियासत का गहरा मेल रहा है. राजनेता अक्सर धर्म गुरुओं की शरण में देखे जाते हैं. चुनावी सीजन में इनकी दखल और बढ़ जाती है. लोकसभा चुनाव 2024 के बहाने hindi.news18.com लाया है एक खास सीरीज ‘नेताओं के गुरु’, जिसमें आप तमाम आध्यात्मिक गुरु, साधु-संत और उनके अनुयायियों से जुड़े दिलचस्प किस्से, वाकये पढ़ सकते हैं. सीरीज का दूसरा पार्ट धीरेंद्र ब्रह्मचारी पर… (पार्ट-1 पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें)

बिहार से निकला वो लड़का
12 फरवरी 1924 को बिहार के मधुबनी में एक बालक का जन्म हुआ. परिवार ने नाम रखा धीरेंद्र चौधरी. 13 साल की उम्र में ही धीरेंद्र अपना घर-बार छोड़कर निकल पड़े और लखनऊ पहुंचे. यहां गोपालखेड़ा में महर्षि कार्तिकेय के आश्रम में शरण ली और योग सीखने लगे. कुछ वक्त बाद धीरेंद्र चौधरी ने एक नई पहचान हासिल की. अपना नाम बदलकर धीरेंद्र ब्रह्मचारी रख लिया औक खुद योग सिखाने लगे. 1950 आते-आते सफेद चमकदार दाढ़ी, गठीली कद-काठी और गहरी आंखों वाला वह संन्यासी दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में नजर आने लगा.

नेहरू से लेकर जेपी तक शिष्य
दिल्ली में धीरेंद्र ब्रह्मचारी प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को योग सिखाने लगे. इसके बाद तो उनके शिष्यों की कतार बढ़ने लगी. राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद से लेकर लाल बहादुर शास्त्री, जयप्रकाश नारायण और मोरारजी देसाई तक उनसे योग सीखने लगे. साल 1959 में धीरेंद्र ब्रह्मचारी ने दिल्ली में अपने आश्रम की नींव रखी और नाम दिया ‘विश्वायतन योग आश्रम’. खुद पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इस आश्रम का उद्घाटन किया. इंदिरा गांधी की जीवनी लेखक कैथरीन फ्रैंक अपनी किताब में लिखती हैं कि धीरेंद्र ब्रह्मचारी के आश्रम को शिक्षा मंत्रालय से अनुदान मिलता था और मंत्रालय की तरफ से ही उन्हें जंतर मंतर पर एक शानदार बंगला आवंटित किया गया.

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इंदिरा से पहली मुलाकात
पंडित नेहरू से करीबी के चलते धीरेंद्र ब्रह्मचारी साल 1958 में उनकी बेटी इंदिरा गांधी के संपर्क में आए और 60 का दशक आते-आते दोनों इतने करीब आ गए कि आए दिन अखबारों में उनसे जुड़ी खबरें छपने लगीं. साल 1964 में जब पंडित नेहरू का देहांत हुआ तो धीरेंद्र ब्रह्मचारी की इंदिरा के घर में आवाजाही बढ़ गई. ब्रह्मचारी, इंदिरा गांधी को हर रोज अकेले में एक घंटे योग सिखाने लगे. इसी दौरान इंदिरा गांधी ने अपनी दोस्त और जानी-मानी अमेरिकी फोटोग्राफर डोरोथी नॉर्मन को एक चिट्ठी लिखी. इस चिट्ठी ने एक गॉशिप को जन्म दिया. इंदिया ने लिखा..

‘मैं अब हर सुबह जल्दी उठ जाती हूं और एक योगी मुझे योग सिखाते हैं. उनका शरीर इतना सुंदर है कि कोई भी उनकी तरफ आकर्षित हुए बिना नहीं रह सकता है…’

बंद दरवाजे के पीछे सिखाते थे योग
17 अप्रैल 1958 को लिखी यह जब चिट्ठी सार्वजनिक हुई तो तमाम गॉसिप मैगजीन में इंदिरा और धीरेंद्र ब्रह्मचारी के रिश्तों पर बातें होने लगीं. हालांकि दोनों ने कभी सार्वजनिक तौर पर इस पर कुछ नहीं कहा. लेखिका भवदीप कांग अपनी किताब ‘गुरुज: स्टोरीज ऑफ इंडियाज लीडिंग बाबाज’ (Gurus: Stories of India’s Leading Babas) में वरिष्ठ पत्रकार खुशवंत सिंह के हवाले से लिखती हैं कि ‘धीरेंद्र ब्रह्मचारी लंबे-तंबे थे और सुंदर दिखते थे. वह हर सुबह बंद दरवाजे के पीछे इंदिरा गांधी के साथ एक घंटा बिताया करते थे. हो सकता है उनकी इस योग की शिक्षा का अंत कामसूत्र की शिक्षा के साथ हुआ हो…’ कांग स्पष्ट करती हैं कि ऐसा खुशवंत सिंह ने अनुमान लगाया था. वह खुद इस बात की पुष्टि नहीं करती हैं.

इंदिरा के फ्रेंड, फिलॉस्फर और गाइड
70 का दशक आते-आते धीरेंद्र ब्रह्मचारी इंदिरा गांधी के सबसे खास फ्रेंड, फिलॉस्फर और गाइड बन गए. इस दौर में उन्होंने इंदिरा के बेटे संजय गांधी को भी लगभग अपनी मुट्ठी में कर लिया और एक तरीके से उनके परिवार के सदस्य बन गए. कैथरीन फ्रैंक अपनी किताब में लिखती हैं कि धीरेंद्र ब्रह्मचारी उस दौर में इकलौते ऐसे पुरुष थे, जो इंदिरा गांधी के कमरे में अकेले जा सकते थे. इंदिरा गांधी से इतनी नजदीकी के चलते उन्हें भारत का ‘रासपुतिन’ कहा जाने लगा.

इंदिरा के लिए तंत्र साधना
जैसे-जैसे इंदिरा गांधी सत्ता के शिखर पर पहुंचती गईं, ब्रह्मचारी से उनके करीबी भी बढ़ती गई. 25 जून 1975 को जब इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल की घोषणा की तब धीरेंद्र ब्रह्मचारी लगभग 24 घंटे इंदिरा गांधी के इर्द-गिर्द नजर आने लगे. पुपुल जयकर, इंदिरा गांधी की जीवनी में लिखती हैं कि उस दौर में धीरेंद्र ब्रह्मचारी इंदिरा गांधी से कहते थे कि किस तरीके से उनके विरोधी उन्हें नुकसान पहुंचाने के लिए तंत्र-मंत्र का सहारा ले रहे हैं. फिर खुद धीरेंद्र ब्रह्मचारी ही इसकी काट भी बताते थे और बदले में यज्ञ, हवन और तांत्रिक क्रियाएं किया करते थे.

बकौल पुपुल जयकर, इमरजेंसी के दौर में तो इंदिरा गांधी हर छोटे-बड़े मुद्दे पर धीरेंद्र ब्रह्मचारी की सलाह लेती थीं और उस पर पूरी तरह अमल भी करती थीं. यह नहीं सोचती थीं कि इसका अंजाम क्या होगा.

प्राइवेट जेट के मालिक
इंदिरा से करीबी के चलते धीरेंद्र ब्रह्मचारी का राजनीतिक रसूख इतना बढ़ गया कि वह बिना रोक-टोक धड़ल्ले से पीएमओ में आने जाने-लगे. ब्रह्मचारी अक्सर नीली टोयोटा कार से चला करते थे, लेकिन उनके पास कई प्राइवेट जेट थे. जिसमें 4 सीटर सेसना, 19 सीटर डॉर्नियर विमान शामिल थे. धीरेंद्र ब्रह्मचारी ट्रेंड पायलट थे और कई बार खुद अपना विमान उड़ाया करते थे.

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गुजराल का मंत्रालय छिनवा लिया
पूर्व प्रधानमंत्री इंदर कुमार गुजराल ने अपनी आत्मकथा ‘मैटर्स ऑफ डिस्क्रेशन: एन ऑटोबॉयोग्राफी’ (Matters of Discretion) में धीरेंद्र ब्रह्मचारी पर विस्तार से लिखा है और बताया है कि किस तरीके से उस दौर में एक साधारण योग गुरु सरकार को अपनी उंगलियों पर नचाया करता था. गुजराल लिखते हैं कि जब मैं निर्माण और आवास राज्य मंत्री था, तब धीरेंद्र ब्रह्मचारी ने मुझ पर नई दिल्ली के पॉश गोल डाकखाना के करीब अपने आश्रम के लिए एक सरकारी जमीन देने की मांग की, लेकिन मैं वह जमीन उन्हें कतई नहीं देना चाहता था. लिहाजा मैंने फाइल रोक दी. एक शाम धीरेंद्र ब्रह्मचारी का मेरे पास फोन आया और उन्होंने मुझे धमकाते हुए कहा, ‘अगर मेरी बात नहीं मानी तो तुम्हें डिमोट करवा देंगे…’

गुजराल लिखते हैं कि एक हफ्ते बाद मंत्रिमंडल में फेरबदल हुआ और मेरा डिमोशन कर दिया गया. मेरे ऊपर उमाशंकर दीक्षित को कैबिनेट मंत्री बना दिया गया. अगले दिन जब मैंने इंदिरा गांधी से इसकी शिकायत की तो वह बिल्कुल चुप रहीं. एक शब्द नहीं बोलीं.

जन्म स्थान पूछने पर भड़क जाते थे
धीरेंद्र ब्रह्मचारी जब भी पत्रकारों से बात करते थे तो कभी अपने निजी जीवन पर ज्यादा चर्चा नहीं करते थे, खासकर अपने मूल निवास स्थान के बारे में. नवंबर 1988 में जब वरिष्ठ पत्रकार अरुण पुरी और प्रभु चावला ने ब्रह्मचारी से एक इंटरव्यू के दौरान उनका जन्म स्थान जानना चाहा, तो ब्रह्मचारी लगभग धमकाते हुए कहा ‘आप लोग मुझसे यह सब नहीं पूछ सकते हैं और इस तरह के प्रयास में सफल भी नहीं होंगे. लंदन में भी मुझसे कई पत्रकारों ने मेरी पारिवारिक पृष्ठभूमि के बारे में छानबीन करनी चाही, लेकिन मैंने जवाब देने से मना कर दिया था…’

कड़ाके की ठंड में भी गर्म कपड़े नहीं पहने
6 फीट 1 इंच लंबे धीरेंद्र ब्रह्मचारी को कभी गर्म कपड़ों, जैसे- स्वेटर वगैरह में नहीं देखा गया. वह हमेशा अपने जिस्म पर एक पतला सा कपड़ा लपेटे रहते थे. यहां तक कि रूस की कड़ाके की सर्दी में भी उसी कपड़े में दिखाई देते थे. उनके हाथ में हमेशा सफेद चमड़े का एक बैग रहता था, जो किसी लेडिज पर्स की तरह दिखाई देता था. वरिष्ठ पत्रकार दिलीप बॉब 30 नवंबर 1980 को इंडिया टुडे के अंक में लिखते हैं ”धीरेंद्र ब्रह्मचारी के कई चेहरे हैं. उनके पास भले ही कोई सरकारी पद नहीं है, लेकिन असीम शक्ति है. वह ऐसे गुरु हैं जिनकी सीधे प्रधानमंत्री तक पहुंच है…”

विवाद और मुकदमा
धीरेंद्र ब्रह्मचारी का विवादों से भी चोली-दामन का रिश्ता रहा. इमरजेंसी के दौर में हुई ज्यादती की जांच के लिए बने शाह कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में ब्रह्मचारी पर विस्तार से लिखा और कहा कि किस तरीके से इंदिरा गांधी और संजय गांधी से करीबी का फायदा उठाते हुए अकूत संपत्ति बनाई. इमरजेंसी में तो अमेरिका से चार सीटर M5 विमान बिना इंपोर्ट ड्यूटी दिए मंगा लिया. कैथरीन फ्रैंक लिखती है कि इससे आगे धीरेंद्र ब्रह्मचारी ने कश्मीर में प्राइवेट हवाई पट्टी बनाने तक की मंजूरी ले ली. यह बहुत गंभीर मामला था, क्योंकि कश्मीर सीधे पाकिस्तान से सटा था.

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इंदिरा ने कैसे बचाया?
इमरजेंसी के बाद जब इंदिरा गांधी की सरकार गई तो धीरेंद्र ब्रह्मचारी के खिलाफ जांच शुरू हुई, लेकिन 1980 में सत्ता में लौटते ही इंदिरा ने ब्रह्मचारी के खिलाफ लगे सारे आरोप वापस ले लिए. धीरेंद्र ब्रह्मचारी पर विदेश से हथियार खरीदने और बेचने के आरोप में आपराधिक मामला भी दर्ज हुआ.

काली गाय पालने के शौकीन
धीरेंद्र ब्रह्मचारी काली गाय पालने के शौकीन थे. प्रधानमंत्री आवास से महज कुछ किलोमीटर दूर उनके आश्रम में दर्जनों काली गाय बंधी रहती थी. खुशवंत सिंह अपनी किताब ‘ट्रुथ, लव एंड द लिटिल मेलिस’ में लिखते हैं कि धीरेंद्र ब्रह्मचारी के पास विशाल बंगला था, जिसमें दर्जनों काली गाय पाली थी. ब्रह्मचारी मानते थे कि काली गाय का दूध औषधि गुणों से भरपूर था. उनके बंगले में इतनी भीड़ होती थी जितनी किसी मंत्री के यहां नहीं होती थी.’

इंदिरा से मिलने पर बैन
एक वक्त ऐसा आया जब इंदिरा गांधी के दफ्तर से लेकर डिनर टेबल तक नजर आने वाले धीरेंद्र ब्रह्मचारी की उनसे मिलने पर पाबंदी लगा दी गई. प्रधानमंत्री आवास में एंट्री बैन कर दी गई. राजीव गांधी, धीरेंद्र ब्रह्मचारी को कतई नापसंद करते थे. जब संजय गांधी की विमान दुर्घटना में मौत हुई तो उन्होंने धीरेंद्र ब्रह्मचारी की अपनी मां से मिलने पर पाबंदी लगवा दी. इसके वह इंदिरा के साथ सार्वजनिक तौर पर नजर नहीं आए. इंदिरा गांधी के निधन के बाद धीरेंद्र ब्रह्मचारी ने उनसे आखिरी बार मिलने की कोशिश की. इंदिरा गांधी के पार्थिव शरीर तक पहुंचे, लेकिन राजीव गांधी के निर्देश पर उन्हें वहां से नीचे हटा दिया गया.

हवाई दुर्घटना में गई जान
9 जून 1994 को धीरेंद्र ब्रह्मचारी अपने प्राइवेट प्लेन से जम्मू कश्मीर के मानतलाई में अपने आश्रम के लिए 100 एकड़ की जमीन का सर्वे करने निकले. पायलट ने ब्रह्मचारी से कहा कि मौसम खराब है, इसलिए उड़ान भरना ठीक नहीं है, पर ब्रह्मचारी ने एक नहीं सुनी. मानतलाई पहुंचकर जब पायलट ने विमान लैंड कराने की कोशिश की तो संतुलन खो बैठा. विमान आग का गोला बनकर झाड़ी में जा गिरा. धीरेंद्र ब्रह्मचारी की मौत के बाद न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा ”एक ऐसा संत, जिसने आध्यात्मिकता के बल पर सत्ता का भरपूर लाभ उठाया…” 

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