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May 3, 2024
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मिलिए मैथ के उस जीनियस से, IIT, NASA में किया काम, फिर हो गया लापता, सालों बाद मिला लेकिन…


Vashishtha Narayan Singh: बिहार के वशिष्ठ नारायण सिंह के बारे में शायद ही आज के जेनरेशन को पता हो. छोटे से गांव में साल 1942 में जन्मा एक बच्चा जो पूरी दुनिया के बड़े-बड़े संस्थानों को लिड करने के बाद भी गरीबी की मार से और गमुनामी में को जाता है. एक ऐसे मैथमेटिशियन, जिसने आइंस्टिन के प्रसिद्ध थ्योरी ‘सापेक्षता के सिद्धांत’ (Theory of Relativity) को चैलेंज कर दिया था. अमेरिका के नासा, बर्कले और आईआईटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में काम किया.

वशिष्ठ नारायण सिंह का जीवन त्रासदी में घिरा हुआ था. पटना साइंस कॉलेज में बीएससी और एमएससी के टॉपर रह चुके थे. उनको, भारत के महान गणितज्ञ रामानुजन का संभावित उत्तराधिकारी माना जाने लगा था, हालांकि, मानसिक बीमारी के कारण, उनके जीवन में एक अप्रत्याशित मोड़ आया और वे गुमनामी में खो गए.

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वशिष्ठ नारायण को तब वैश्विक पहचान मिली, जब उन्होंने अल्बर्ट आइंस्टीन के प्रसिद्ध सिद्धांत को चुनौती दी. कुछ लोगों का मानना है कि नासा का कंप्यूटर खराब होने के पर उन्होंने अपोलो मिशन के तहत चांद पर इंसान उतारने की गणितीय काउंटिंग में मदद की थी.

एक पुलिस कांस्टेबल के बेटे, वशिष्ठ नारायण की यात्रा झारखंड के नेतरहाट स्कूल से शुरू हुई और पटना साइंस कॉलेज तक जारी रही, जहां उनकी गणितीय टैलेंट नजर आई. कॉलेज के प्रिंसिपल ने उन्हें जल्द ही आगे की क्लास में भेजा, उन्होंने साल 1969 में पीएचडी पूरा किया. उनकी प्रतिभा को देखते हुए, प्रोफेसर जॉन एल केली ने वशिष्ठ नारायण के लिए अमेरिका के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले में स्टडी करने भेजा. लगभग एक दशक के बाद वह भारत लौटे और आईआईटी कानपुर, टीआईएफआर मुंबई और आईएसआई कोलकाता (ISI Kolkata) जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में पढ़ाया.

उनके जीवन में एक दुखद मोड़ आया, वह सिज़ोफ्रेनिया था. जिसके कारण उनका तलाक हो गया. उसका असर इतना हुआ कि पढ़ने-पढ़ाने का काम भी प्रभावित हुआ. इलाज हुआ, लेकिन फिर अचानक वह एक ट्रेन से जाते समय गायब हो गए. बाद में उनके खुद के गांव में जीवित रहने का पता चला.

अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा की मदद से उनको बेंगलुरु के NIMHANS में भर्ती कराया गया. वहां से IHBAS दिल्ली में इलाज कराया गया, लेकिन वशिष्ठ नारायण अपनी बीमारी से जूझते रहे. चुनौतियों के बावजूद, वे दोबारा बीएनएमयू मधेपुरा में पढ़ाने के नियुक्त हुए. 14 नवंबर, 2019 को 72 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया. भारत सरकार ने उनके योगदान के लिए मरणोपरांत पद्म श्री पुरस्कार से नवाजा.

Tags: Ajab Gajab, Bihar News, Mathematician, Viral news



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