नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अफसोस जताते हुए कहा कि ‘विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016’ (RPWD Act) कानून लागू होने के 5 साल बाद इसका कार्यान्वयन पूरे भारत में निराशाजनक बना हुआ है. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की खंडपीठ ने कहा कि कई राज्यों ने अधिनियम के तहत नियम भी नहीं बनाए हैं, जो इसके लागू होने के छह महीने के भीतर किए जाने थे.
कार्ट ने कहा, ‘कई राज्यों ने अधिनियम के तहत नियम भी नहीं बनाए हैं, जिसे छह महीने के भीतर किया जाना था… हमारा मानना है कि अधिनियम के कार्यान्वयन की स्थिति को ठीक करने की आवश्यकता है. विकलांग व्यक्तियों के अधिकार विभाग (RPWD) मामले को सभी समकक्षों के साथ उठाया जाएगा और इस न्यायालय के समक्ष अनुपालन के लिए रिपोर्ट करेगा.’
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न्यायालय ने विषय पर आगे की सुनवाई जुलाई के दूसरे हफ्ते के लिए निर्धारित कर दी. कोर्ट इस अधिनियम के उचित कार्यान्वयन के लिए पहले ही कई आदेश पारित कर चुका है. शीर्ष कोर्ट एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 को लागू करने के लिए जिला-स्तरीय समितियों के गठन की मांग की गई थी. कोर्ट ने पिछले साल इस मामले में केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय (Union Ministry of Social Justice and Empowerment) से जवाब मांगा था.
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कोर्ट इन बातों पर काफी नाराजगी जताई-
– आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब, उत्तर प्रदेश और केंद्र शासित प्रदेश अंडमान और निकोबार द्वीप समूह ने अधिनियम के तहत नियुक्त किए जाने वाले आयुक्तों की नियुक्ति नहीं की है.
– गुजरात, हिमाचल प्रदेश, केरल, मिजोरम, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, दमन और दीव, जम्मू और कश्मीर और लद्दाख की सरकारों ने अभी तक अधिनियम की धारा 88 के तहत आवश्यक धनराशि नहीं बनाई है.
– अरुणाचल प्रदेश और पश्चिम बंगाल की सरकारों में अधिनियम के तहत अपराधों की तेजी से सुनवाई के लिए विशेष अदालतों की कमी थी, या ऐसे मामलों के संचालन के लिए नियुक्त किए जाने वाले सरकारी अभियोजकों की कमी थी.
– छत्तीसगढ़ और केंद्र शासित प्रदेश दमन और दीव की सरकारों के पास अधिनियम के तहत अपराधों से जुड़े मामलों का संचालन करने के लिए आवश्यक सरकारी अभियोजक नहीं हैं.
– छत्तीसगढ़ सरकार ने रिव्यू बोर्ड का गठन नहीं किया है.
– जम्मू और कश्मीर, लद्दाख और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की सरकारों के पास आवश्यक सुविधाएं प्रदान करने के लिए रिव्यू बोर्ड नहीं हैं.
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Tags: Justice DY Chandrachud, Supreme Court
FIRST PUBLISHED : April 23, 2024, 04:32 IST